हमको कहनी अपनी बात
20 दिसंबर से 31 दिसंबर 2019 के बीच विशाखा के सलूम्बर तहसील की १० पंचायतों के २५ गाँवों की ४५ किशोरियों का सम्मान किया गया |
हर साल की तरह इस बार भी जब किशोरियों के साथ यह बात कि गई की वे इस बार अपने अपने गाँवों में किन मसलों पर बात करना चाहती है ? क्या कहना और बताना चाहती है ? अलग अलग मत आये मगर एक मत से जो ज्यादा बार आया कि क्या उन किशोरियों की बात कर सकते है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कुछ फैसले लिए | छोटे सामान्य महत्वपूर्ण और कुछ ऐसे जो सामजिक नियमों के खिलाफ है ? क्या हम इन की कहानी सबको बता सकते है ? कुछ लड़कियों को लगा हां मगर कुछ ने कहा की कहानी सुनकर हमारी पिटाई हुई हमको बाहर निकले से मन किया और जो अभी तो घर वालों का ही विरोध है मगर इसके कारण बाहर वालों आ भी विरोध आया तो ?
आपसी बातचीत में तय किया हम अपने बात कहेंगे मगर
- एक गाँव से ज्यादा किशोरियों की कहानी कहेंगे
- कुछ ऐसी बातों को भी शामिल करेंगे जिन पर माँ बाप गुस्सा नहीं करेंगे
- इन कहानी को कहने पर किशोरियों का सम्मान हो
- यह सम्मान गाँव का कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति करे ताकी उसकी साख और इज्जत भी इस बात के साथ जुड जाए और किशोरियों को सह्योग मिल पायें
- एक दिन में दो तीन गाँवों में एक साथ सम्मान हो
- संस्था कार्यकर्ता सम्मान से पहले माँ बाप के साथ बातचीत कर उनको इसके लिए ओअहाले से तैयार करे
- स्थानीय प्रशासं और पुलिस के लोंगों को भी सम्मान देने के लिए बुलाया जाये
और इस प्रकार शुरू हुआ कहनियाँ एकत्र करने का सिलसिला | १० से १२ दिन में ७८ से अधिक कहानियां निकल कर आ गई सबने अपनी तस्वीर भी दी | हर कहानी का एक पोस्टर बनाया गया और किशोरियों का सम्मान किया गया |
सम्मान के बाद किशोरियों के कहा
हमको इससे बहुत अच्छा लगा पहली बार हम को सब के सामने ऐसा सम्मान मिला है |
ऐसे निर्णय और हिम्मत तो हमने भी दिखाई है फिर हम को सम्मान क्यों नहीं ?
हम अब अपनी बात सबके साथ जयादा बताना शुरू करेगे तभी सबको पता लगेगा और कोई हमारी मदद कर पायेगा
सम्मान का असर दिख रहा है की लड़कियों के बारे में बात बढ़ गई है | वे अकेली नहीं है कई लोग उनके साथ है यह बात समझ आ रही है | लड़किया खुद कम डर रही है और एक दूसरे का मुश्किल हालत में साथ देने के लिए तैयार हो रही है |


