मेरा नाम शिल्पा है | मैं विशाखा संस्था में काम करती हूँ | हम लड़कियों के साथ अधिकार और समूह निर्माण का काम करते हैं | बातचीतों में हमारे मुख्य मुद्दे बराबरी, विभन्न पहचान आधारित भेदभाव और यौन अधिकार है | जब महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शादी और मातृत्व के सहसंबंध पर टास्क फोर्से का निर्माण हुआ तो हमने एक बार फिर लड़कियों के साथ इस पर चर्चा करना तय किया |
28 जून को मैंने मेरे अपने गाँव मेथुडी में एक छोटी गतिविधि की, उसी गतिविधि को 1 जुलाई 2020 को मैंने लड़कियों साथ मिलकर मालपुर गाँव में किया I उनके फले ( मोहल्लें) का नक्शा बनाया | इस नक़्शे की मदद से शिक्षा, शादी और काम पर चर्चा की गई |
मेरे अपने गांव मैथूडी के अनुभव
मैं जब अपने गांव का नक्शा बना रही थी तब कई सारी जानकारी ऐसी थी जो मुझे मेरे मोहल्ले की लड़कियों के बारे में पता थी। नक्शा बनाने में किसी तरह की समस्या मुझे नहीं आई ।
जब मैंने मोहल्ले का नक्शा बनाया और सभी स्थितियों को देखा तो बहुत अजीब लगा कि पढ़ी-लिखी लड़कियां जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है। उन घरों में भी लड़कियो के साथ ऐसी स्थिति आ रही है I लड़कियों पर दबाव, मारपीट, गाली-गलौज, जबरदस्ती शादी, दहेज, आत्महत्या जैसी स्थितियां देखने को मिली I मुझे तो यह लगता था कि जिनकेपरिवार शहरों में रहती है या आर्थिक स्थिति अच्छी है। वो लड़कियों थोड़ी अलग होगी। उनके साथ हिंसा कम होती होगी। लड़कियां बोल पाती होंगी। उनकी शिक्षा का स्तर अच्छा होगा। जबकि ऐसा है नहीं।
मुझे तो इस बात से भी अजीब लगा कि इतनी छोटी जगह पर इतनी लड़कियां होने के बावजूद और स्थिति बेहतर नहीं है I शायद कई सारी ऐसी समस्याये ऐसी भी होगी जो इन लड़की के अलावा किसी को भी नहीं पता है I
लड़कियां परिवार में सामाजिक व पारिवारिक दबाव के साथ ही रह रही है।
इन 28 लडकियों को देखने पर कुछ स्थितियां उभरी –
- जिस लड़की ने आत्महत्या की वह पहले किसी लड़के साथ चली गई। उसे वापस ला कर शादी कहीं और करवा दी गई। शादी के बाद पति ने छोड़ दिया तो वापस पीहर आई। उसके बाद किसी और लड़के से बात करने लगी। दोनों के बीच झगड़ा होने पर आत्महत्या कर लिया।
- 2 लड़कियां की शादी भाई के बदले हो गई।
- रेगुलर पढ़ाई 4 लड़कियां कर रही हैं।
- 3 लड़कियों की शादी हो गई।
- 1 लड़की नौक्ररी कर रहीहै।
- 3 लड़कियों ने ‘भाग कर’ (धर छोड़कर) शादी की 1 को वापस लाया गया व दूसरी जगह शादी करा दी ।
- 1 लड़की ने पढ़ाई छोड़ दी। माँ बीमार रहती थी इसलिए घर का काम करती थी I मां की मृत्यु के बाद अहमदाबाद गई वहां पर घरों में सफाई का काम करती है।
- 2 लड़कियों की शादी/सगाई की लड़को वालों से पैसे लेकर उसमें से 1 की शादी जबरदस्ती की गई।
मालपुर
इसमें गांव की स्थितियां इस प्रकार निकल कर आईः-
- गांव में कुल घर 71 है जिनमें से 33 घरो में 14 से 24 आयुवर्ग की लड़कियां है व में 38 घर 14 से 24 वर्ष की लड़कियां नहीं हैं।
- गाँव में 14 से 24 आयुवर्ग की कुल 42 लड़कियां है |
- 4 लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी
- 9 कभी स्कुल नहीं गई |
- जिन लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ी या स्कूल नहीं गई वे सभी लड़कियां काम पर जाती है साथ ही बीच बीच में बकरियां चराने जाती हैं। उनको लगता है की पढ़ कर कोई काम नहीं मिलता है |
- घर, स्कूल, काम पर जाने वाली सभी लड़किया घर का काम भी करती है।
- अभी १८ साल से कम उम्र की लड़कियां स्कूल जा रही हैं, १८ साल से बड़ी उम्र की लड़कियां स्कूल नहीं जा रही है |
- जो लडकियां 10वीं में एक या दो बार फेल हो गई और उसके बाद उनके घर वालों ने मना कर दिया कि अब इतने पैसे नहीं हैं। घर पर रहेगी काम पर जाएगी तो पैसा कमा कर लाएगी।
- 2 लड़कियां ऐसी हैं जिन्होंने अपनी पसंद से सगाई की है | अपनी पसंद से शादी करेगी लेकिन उनके माँ पिता ने कह दिया है की आगे जाकर तेरे को कोई भी समस्या आई तो हम कुछ नहीं बोलेंगे तुमको जो करना हो वो करना। ( हमारी बात नहीं मानोगी तो हम मुश्किल में भी मदद भी नहीं करेंगे )
- इस गाँव में किसी की भी शादी १८ साल से कम उमे में नहीं हुई है |
- 9 घरों की 9 सबसे बड़ी लड़कियों लड़की को पढ़ाई नहीं करवाई गई है वे घर का काम, छोटे भाई बहन का ध्यान रखना, और घर के दूसरे सदस्यों को काम पर भेजने में मदद करती है |
- 13 लड़कियां अभी दोस्ती के रिश्तों में है | यह सब लड़किया काम पर भी जाती हैं |
- गाँव में एक २४ वर्ष की महिला है। उसके दो बेटे है | कुछ समय पहले पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो गया था | पति ने आत्महत्या कर ली। ससुराल वालों ने उसको निकाल दिया था। अभी वह महिला अपनी पीहर में रहती है। बच्चों का खर्चा पीहर वाले करते हैं। अभी वह काम पर जाती है।
- इस आयुवर्ग की एक लड़की की शादी जबरदस्ती उसकी मर्जी के बिना की जा रही थी उसको वो लड़का पसंद नहीं था। शादी की सारी तैयारी हो गई थी और शादी के दो दिन पहले वह घर छोड़ कर मामा के घर चली गई।
इस नक़्शे पर हुई बातचीत से समझ आया कि –
- लड़कियाँ पढ़ाई नोकरी अथवा रोजगार के लिये करना चाहती है और कोई परिणाम नहीं आता दिखता तो पढ़ाई छोड़ देती है |
- लड़किया उम्र के साथ आकर्षण और दोस्ती के रिश्तों में जाती है | मुश्किल में भी आती है मगर इसका इलाज शादी नहीं है | लेकिन समाज उनको हर बात का एक ही इलाज बताता है |
- शादी से पहले लडकियां पढ़ाई और काम करने की इच्छा रखती है और माँ बाप भी इसी तरह से देखते है की लड़की पढ़ाई और काम करे | काम से कुछ पैसा भी कमाएँ|
- फ़ैल हो जाने पर अक्सर लड़कियों की पढ़ाई छुडवा लेते है |
- लड्कियों को अपनी मर्जी के फैसले लेने के लिये मना किया जाता है और फिर भी वो ले ले तो उनको मदद की ववस्था बंद कर दी जाती है |
- घरेलू हिंसा दिखाई देती है और ऐसे समय में ससुराल से मदद कम ही मिल पाती है| लड़कियों को इस के लिये तैयार नहीं किया जाता | हिंसा के हालत में उनकी दूसरे पर निर्भरता बाद जाती है |
- कानूनी उम्र पार करने के बाद भी लड़कियों की मर्जी के कोई मायने नहीं दिखते | उनको विरोध में घर छोड़ना पडता है |